New India News
नवा छत्तीसगढ़

बॉलीवुड में मुगलों पर फिल्‍म बनती हैं, मगर साइंस और साइंटिस्टों पर नहीं : आर माधवन

Newindianews/Delhi: इंडस्‍ट्री में आर माधवन ने एक्टिंग के अलावा ‘रॉकेट्री: द नंबी इफेक्‍ट’ से राइटिंग और डायरेक्‍शन में भी कदम रखा है। माधवन इसमें वैज्ञानिक नंबी नारायण की भूमिका निभाई है। इसकी मेकिंग में माधवन ने कई साल दिए हैं। वह इस फिल्म से इमोशनली अटैच्‍ड हैं। उन्‍होंने इसे बनाने की वजहें, तरीकों और बाकी पहलुओं पर दैनिक भास्कर से डिटेल्‍ड बात की है। पेश है प्रमुख अंश:

नेशनल ड्यूटी थी यह फिल्‍म बनाना
माधवन बताते हैं, ऐसी फिल्‍में और नंबी नारायण जैसों पर फिल्‍म बनाना एक नेशनल ड्यूटी है। हालांकि यह थॉट फिल्‍म बनाने से पहले नहीं आया था। वह इसलिए कि मैं तो इसमें बस एक्‍ट करने वाला था। फिल्‍म को डायरेक्‍ट करने वाले काम पर तो मैं बहुत लेट आया। मैंने नंबी नारायण पर रिसर्च कर जाना कि इनके कहानी दुनिया को पता चलनी ही चाहिए।

लोगों को शायद पता ना हो, मगर नंबी नारायण इंडिया से ज्‍यादा फ्रांस में पॉपुलर हैं। वहां उनके कम्‍युनिकेशन की लैंग्‍वेज इंग्लिश थी। ऐसे में मैं अगर सिर्फ तमिल और इंग्लिश में फिल्‍म बनाता तो वह एक तरह का मैनिपुलेशन होता। लिहाजा हमने इसे तीन लैंग्‍वेज हिंदी, इंग्लिश और तमिल में बनाया।

गुमनाम देशभक्‍तों की गाथा
माधवन आगे बताते हैं, बॉर्डर पर लड़ने वाले देशभक्‍तों की कहानी तो सब जानते हैं। हमारे बीच ऐसे देशभक्‍त भी हैं, जो रोजाना अपनी जान जोखिम में डालते हैं। यह जानते हुए कि उनके बारे में कोई कभी नहीं लिखेगा। नंबी नारायण वैसे ही गुमनाम हीरो हैं।

अंतरिक्ष में भारत की तरक्‍की में उनका जो योगदान है, उस बारे में किसी को नहीं पता। मालूम है तो बस उनसे जुड़ी कंट्रोवर्सी कि उनका तो अफेयर था और उन्‍होंने दुश्‍मन देश को भारत की गुप्‍त बातें लीक कर दीं। जबकि भारत के रॉकेटों के प्रक्षेपण उनके बनाए इंजन की वजह से होते हैं। लिहाजा मैंने उन पर पिक्‍चर बनाना तय किया।

नंबी नारायण की बुरी आदतों पर डेढ़ साल की रिसर्च
माधवन हालांकि इस बात पर भी जोर देते हैं कि इस बायोपिक में नंबी नारायण का सिर्फ महिमामंडन नहीं किया है। उन्‍होंने कहा, दर्शकों को जब तक उनकी खामियों के बारे में नहीं बताता, तब तक उनकी अचीवमेंट भी लोगों को समझ नहीं आती। मैं खुद नहीं समझ पाया कि बॉलीवुड में करोड़ों की मेगाबजट फिल्‍में मुगलों और बाकियों पर बनती रही हैं, मगर विज्ञान और वैज्ञानिकों के विषय पर हमारा बॉलीवुड दूर रहा है। हॉलीवुड वाले साइंस पर बेस्‍ड ‘इंटरस्‍टेलर’ वगैरह बनाते हैं तो लोग खुश हो जाते हैं।

वैसे हीरोज तो हमारे यहां थोक के भाव में पड़े हुए हैं, जिनके बारे में हम यहां फिल्‍म नहीं बनाते। ऐसा रवैया आम लोगों में भी हैं। अंतरिक्ष बहुत जल्‍द हमारे जीवन का बहुत जरूरी हिस्‍सा बनने वाला है। वह इसलिए कि वहां शायद हमें ऐसे एलिमेंट मिल जाएं, जो धरती पर नहीं हैं। आने वाली तारीख में जिन देशों का अंतरिक्ष पर कब्‍जा होगा, वो सबसे ताकतवर होंगे। दुर्भाग्‍य से यह सब हमारे यहां डिसकस नहीं हो रहा।

नंबी नारायण की कोई दखलंदाजी नहीं
माधवन एक और चीज स्‍पष्‍ट करते हैं। वो बताते हैं, ‘एक तो नंबी नारायण खुद सेट्स पर नहीं रहते थे। अगर रहते भी तो सिर्फ इसलिए कि साइंस वाला पार्ट सही से शूट हो। ऐसे में बतौर राइटर मेरे पास चैलेंज यह था कि उनके साइंस वाली अचीवमेंट को हम लेमैन टर्म में उनके काम को कैसे दर्शकों को समझाएं। साइंस वाले सारे पहलुओं को हमने ऑथेंटिसिटी के करीब रखा है। ये फिल्‍म इसलिए भी जरूरी है कि नंबी नारायण जैसे लोगों के चलते ही तमाम चुनौतियों के बावजूद इंडिया इतना बेहतर कर रहा है।

Related posts

आंतकवादियों को संरक्षण देने वाली भाजपा अब समाज में नफरत फैलाने वाले आरोपियों को भी पनाह दे रही है – आर.पी. सिंह

newindianews

“हमर छत्तीसगढ़” आसिफ इक़बाल की कलम से…अंक 100

newindianews

72 साल पुराना सपना हुआ साकार पौने चार साल में 6 नए जिले बने, जनता और प्रशासन के बीच की दूरी हुई कम: मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल

newindianews

Leave a Comment