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सोनम वांगचुक की हिरासत पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र और लद्दाख प्रशासन से 10 दिन में जवाब तलब

New India News / Desk

सुप्रीम कोर्ट ने जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की हिरासत को लेकर दाखिल याचिका पर केंद्र सरकार और लद्दाख प्रशासन से दस दिनों के भीतर जवाब मांगा है। यह याचिका वांगचुक की पत्नी गीतांजलि आंगमो ने दायर की है।

वांगचुक को 26 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA), 1980 के तहत हिरासत में लेकर जोधपुर सेंट्रल जेल भेजा गया था। अदालत ने अब इस मामले पर अगली सुनवाई 24 नवंबर को तय की है।

 कोर्ट में क्या हुआ?

जस्टिस अरविंद कुमार और एनवी अंजारिया की पीठ ने बुधवार को सुनवाई के दौरान कहा कि याचिकाकर्ता को संशोधित याचिका दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया जाता है।
इसके साथ ही केंद्र व लद्दाख प्रशासन को काउंटर जवाब दाखिल करने के लिए दस दिन का समय दिया गया है।

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, जो आंगमो की ओर से पेश हुए, को अदालत ने सरकार के जवाब पर प्रतिउत्तर दाखिल करने की अनुमति दे दी है।

 याचिका में क्या कहा गया?

आंगमो की संशोधित याचिका में कहा गया है कि वांगचुक की हिरासत कानून की नजर में टिकाऊ नहीं है क्योंकि यह —

  • अप्रासंगिक आधारों,

  • पुरानी एफआईआर,

  • असंगत साक्ष्यों, और

  • दबाई गई सूचनाओं
    पर आधारित है।

याचिका के अनुसार, जिन पांच एफआईआर के आधार पर हिरासत हुई, उनमें से तीन एक साल से पुरानी हैं, और किसी में भी वांगचुक का नाम नहीं है। चौथी एफआईआर में उनका नाम है, लेकिन वह पूरी तरह से अलग तथ्यों से संबंधित है।

क्यों हुई थी गिरफ्तारी?

लद्दाख में राज्य का दर्जा और अधिक आर्थिक स्वायत्तता की मांग को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों में हिंसा भड़कने के बाद प्रशासन ने वांगचुक को हिरासत में लिया था।
इन झड़पों में चार लोगों की मौत और 90 से अधिक के घायल होने की खबर है। प्रशासन का दावा है कि वांगचुक ने आंदोलन के दौरान लोगों को भड़काया था।

एनएसए क्या है?

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA), 1980 के तहत प्रशासन को यह अधिकार है कि वह किसी व्यक्ति को 12 महीने तक बिना मुकदमा चलाए हिरासत में रख सकता है। यह कानून सामान्य आपराधिक कानूनों की तुलना में अधिक कठोर माना जाता है।

अब आगे क्या?

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और लद्दाख प्रशासन से कहा है कि वे 10 दिन में जवाब दाखिल करें, इसके बाद 24 नवंबर को सुनवाई होगी।
वहीं, आंगमो को संशोधित याचिका में नए दस्तावेज़ और तथ्य जोड़ने की अनुमति दी गई है।

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