ब्रिटेन के राजमुकुट में जड़ित “कोहिनूर हीरा”पर काकतीय राजवंश का दावा,,,,,
ब्रिटेन की दिवंगत महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के मुकुट में जड़ा ‘कोहिनूर’ वारंगल से बस्तर आये काकतीय राजवंश के होने का दावा किया है बस्तर के महाराजा कमलचंद्र भंजदेव ने। महाराजा कमलचंद्र भंजदेव का कहना है कि मुकुट में जड़े कोहिनूर हीरे का काकतीय राजवंश से ख़ास लगाव रहा है और यह काकतीय राजपरिवार की संपत्ति है। बताते हैं,काकतीय राजवंश की देवी मंदिर से कोहिनूर हीरे की चोरी हुई थी। उसे वापस लाने के लिए भारत के वारंगल में दस्तावेज एकत्र किये जा रहे हैं। इसके साथ ही काफी पहले से कोहिनूर को वापस लाने के लिए मांग फिर से उठने लगी है। गौरतलब है कि कोहिनूर हीरा अपनी बेजोड़ चमक व अलौकिक बनावट के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। दावा किया जा रहा है कि कोहिनूर हीरा तेलंगाना के गोलकुंडा खदान से मिला था। उन दिनों तेलंगाना का वारंगल राज्य चालुक्य काकतीय वंश के आधिपत्य में रहा था। यहां रुद्रदेव प्रथम ने सन 1158 से 1195 ई., महादेव ने 1195 से 1261, गणपति देव ने 1199 से 1261, रुद्ररा देवी ने 1262 से 1289, प्रताप रुद्रदेव ने 1289 से 1323 तक राज किया था।
मुस्लिम शासक अलाउद्दीन खिलजी के गुलाम मलिक काफूर ने 1303 ई. वारंगल पहुंच कर रुद्रदेव द्वितीय को अपना राज्य खिलजी सल्तनत को सौंपने की चेतावनी दी थी। कमलचंद्र भंजदेव बताते हैं, कि उस चेतावनी के बाद अंतिम युद्ध हुआ था और इस युद्ध के दौरान कोहिनूर हीरा चोरी हो गया था, परंतु यह स्पष्ट नही हो पाया की कोहिनूर हीरा की चोरी काकतीयों के देवी मंदिर से हुई थी अथवा वारंगल के राजकोष से। तब हीरा मुस्लिम शासकों के पास चला गया था और बाद में ब्रिटिश सत्ता को सौंप दिया गया और इसे ब्रिटेन के राजमुकुट में जड़ा गया। इस घटना के बाद प्रतापरूद्र देव अपने भाई अन्नादेव व बहन रत्नादेवी के साथ वारंगल से बस्तर आ गए। भंजदेव ने दावा किया कि वारंगल के काकतीय राजवंश के राजा के बस्तर आने का पूरा जिक्र वारंगल गज़ेटियर में है । भंजदेव ने बताया कि इस बात की जानकारी उन्हें पूर्व वित्त मंत्री स्व. रामचंद्र देव ने भी दी थी। उन्होंने कोहिनूर हीरा पर अपना दावा व उसे भारत लाने प्रेरित भी किया था। तभी से कोहिनूर से संदर्भित दस्तावेज लगातार सहेज रहे हैं। बहुत से कागज़ात मिल चुके हैं, वारंगत गज़ेटियर व अन्य दस्तावेज एकत्र किए जा रहे हैं। कागज़ात पूरा होते ही भारत सरकार के माध्यम से दावा किया जाएगा। कोहिनूर हीरा 19.6 कैरेट का है और वर्तमान में इसकी कीमत 150 हजार करोड़ आंकी गई है।
मध्य क्षेत्र विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष एवं सिहावा विधायक डॉ. लक्ष्मी ध्रुव ने बड़े जलाशयों में से एक सोंढूर जलाशय में नौका विहार (पैडल बोट) का शुभारंभ किया है। उन्होंने क्षेत्रीय नागरिकों को इसकी शुभकामनाएं भी दी है। इस अवसर पर कलेक्टर पी.एस.एल्मा, सीसीएफ एस.के.पैंकरा भी मौजूद थे। सिहावा विधायक व अतिथियों ने सोंढूर जलाशय के तट पर पैडल बोट की पूजा – अर्चना कर शुभारंभ किया। इसके बाद उन्होंने नौका विहार भी किया। उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व के निदेशक वरुण जैन ने बताया कि यह इलाका टाइगर रिजर्व में आने की वजह से ग्रामीणों को आजीविका की समस्या होती है। सोंढूर जलाशय के मछुआरे मछली पकड़ कर अपनी आजीविका चलाते हैं। उन्हें रोज़गार के नये अवसर से जोड़ते हुए जलाशय में पैडल बोट का संचालन दिया गया है। इससे क्षेत्रीय युवाओं को अतिरिक्त आय होगी। इसके साथ – साथ पर्यटक भी अब इस इको – फ्रेंडली पार्क का आनंद उठा सकेंगे। गौरतलब है कि पेडल बोट के संचालन में मेचका, बरपदर, बेलरबादरा सहित आस पास के गांवों के युवाओं को रोजगार मिलेगा। ईको फ्रेंडली पार्क में आयोजित कार्यक्रम में ग्रामीणों को संबोधित करते हुए डॉ. लक्ष्मी ध्रुव ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में सर्वहारा वर्ग का विकास हो रहा है। इस अवसर पर अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) चंद्रकांत कौशिक, एसडीओ (वन) हरीश पाण्डेय सहित समीप के गांवों के सरपंच – पंच, वन विभाग के अधिकारी – कर्मचारी एवं ग्रामीणजन उपस्थित थे।
हमर छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर में खेल रचियता स्व. हिदायत अली द्वारा संरचित स्टैण्ड बॉल खेल का साइंस कॉलेज मैदान पर भव्य शुभारंभ हुआ। इस मौके पर अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य अरुण दिवाकरनाथ वाजपेयी मुख्य अतिथि रहे, जबकि अभय नारायण राय ने अध्यक्षता की। मुख्य अतिथि आचार्य वाजपेयी ने भरोसा जताया कि स्टैण्ड बॉल खेल कम लागत व संसाधनों वाला खेल बनकर देश व राज्यों में लोकप्रिय बनेगा। इस खेल “स्टैण्ड बॉल” को पल्लवित एवं विस्तारित किया जाना चाहिए। अभय नारायण राय ने अपने संबोधन में कहा कि स्टैण्ड बॉल खेल में लोकप्रिय बनकर खिलाडियों के बीच उभरने की पूरी क्षमता है। इस अवसर पर स्टैण्ड बॉल खेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरविन्द कुमार चित्तौड़िया ने भी स्टैण्ड बॉल खेल के निकट भविष्य में शीघ्र विस्तार की बात बताते हुए वर्ष 2025 तक स्टैण्ड बॉल राष्ट्रीय खेलों को सूची में शामिल हो सकेगा और पूरी संभावना है कि स्टैण्ड बॉल के नेशनल मैचों का शुभारंभ कृष्ण जन्मस्थान मथुरा में हो सकेगा और उसमें भाग लेने के लिए सभी को आमंत्रित किया। इससे पूर्व, देश के विभिन्न राज्यों से आए स्टैण्ड बॉल के रेफरियों ने सभी अतिथियों का पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। इसके साथ ही स्टैण्ड बॉल के रचियता स्व. हिदायत अली के सुपुत्र जावेद अली एवं पुत्रवधु डॉ. शाज़िया अली ने भी कुलपति एवं सभी अतिथियों का स्वागत किया। शुभारंभ अवसर पर के.पी.एस. स्कूल की टीमों के 20 खिलाडियों ने दो दल में बंटकर शानदार प्रदर्शन मैच खेल कर दर्शकों को रोमांचित कर दिया। इस अवसर पर क्ष्रमजीवी पत्रकार कल्याण संघ के प्रदेश अध्यक्ष बी.डी.निज़ामी, संयोजक आसिफ़ इक़बाल, महेश तिवारी, सुरेंद्र कपूर काके, राधेश्याम कोरी सहित डॉ. संजय रणविजय सिंह (म.प्र.), डॉ प्रकाश सिंह (महाराष्ट्र), डॉ. बेनीपाल चौधरी (महाराष्ट्र), राजेश गेदाम (महाराष्ट्र), व अन्य राज्यों के खेल पदाधिकारी उपस्थित रहे।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में छत्तीसगढ़ के 12 जाति समुदायों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मंज़ूरी प्रदान की है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा छत्तीसगढ़ की विभिन्न जाति समुदायों को अनुसूचित जनजाति में शामिल कराने का प्रयास किया जा रहा था, जिसे अब जाकर सफलता मिली है। मालूम रहे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विगत 11 फ़रवरी 2021 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पत्र लिखकर 12 समुदायों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का आग्रह किया था, जिसे अब जाकर सहमति मिली है। छत्तीसगढ़ की जिन 12 समुदायों को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया गया है, उनमें 1) भारिया, 2) पांडो, 3) धुनहार, 4) गदबा, 5) गोंड, 6) कौंध, 7) नगेसिया, 8) धांगड़, 9) भूईयां, 10) धनुवार, 11) कोड़ाकू, 12) किसान को उनके नाम के अंग्रेजी संस्करण को बिना बदलाव के बाद सुधार कर पर्याय के बतौर शामिल किया गया है। इन जाति समुदायों को छत्तीसगढ़ की अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल होने के बाद इन्हे शासन की अनुसूचित जनजातियों के लिए संचालित योजनाओं का लाभ मिलने लगेगा, छात्रवृत्ति, रियायती ऋण, अनुसूचित जनजातियों के बालक बालिकाओं को छात्रावास की सुविधा के साथ शासकीय सेवा और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का लाभ भी मिल सकेगा।
“तुम देख लो हस्ती को हर इक शै से सजा कर,,,अख़लाक़ से बढ़कर कोई जेवर न मिलेगा”,,,