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“हमर छत्तीसगढ़” आसिफ इकबाल की कलम से… 42 अंक

मुख्यमंत्री गोवंश मोबाइल चिकित्सा योजना हर ज़िले में शुरू होगी-भूपेश बघेल,,,,,

हमर छत्तीसगढ़ में गोवंश से जुड़ी सभी  महत्वाकांक्षी योजनाएं अतुलनीय हैं।गोधन न्याय योजना से जुड़ी कड़ियों का लाभ आर्थिक रूप से विस्तारित हो ही रहा है।इसी कड़ी में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एकदम मौलिक योजना पूरे राज्य में शुरू करने के निर्देश दिए हैं। यह योजना गोवंश को सर्वोत्तम मोबाइल चिकित्सा प्रदान करने से जुड़ी है।मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि गोवंश को सर्वोत्तम मोबाइल चिकित्सा योजना प्रत्येक ज़िले में एक या दो चिकित्सा वाहनों से शुरू होगी,जिसे चरणबद्ध रूप से विस्तारित किया जावेगा।मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि पशुधन के संरक्षण व संवर्धन के कार्य को आगे बढ़ाते हुए गोवंश के सर्वोत्तम स्वास्थ्य के लिए भी मोबाइल चिकित्सा वाहनों का उपयोग किया जावेगा।वैसे राज्य में शासकीय पशु चिकित्सालयों के साथ-साथ राज्य में सुराजी गांव योजना के तहत बने गौठानों में भी पशुधन के स्वास्थ्य की देखभाल करने की व्यवस्था है।अब इस नई योजना के माध्यम से गोवंश के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं का और अधिक विस्तार होगा।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य के मुख्य सचिव अमिताभ जैन को इस योजना बाबत सभी आवश्यक कार्यवाही सुनिष्चित करने के निर्देश दिए हैं।

रावघाट से बीएसपी संयंत्र पहुंची लौह अयस्क की पहली खेप,इस्पात बरादरी में हर्ष,,,,,

हमर छत्तीसगढ़ में नक्सली क्षेत्र रावघाट के अंजरेल से लौह अयस्क की पहली खेप 21 वैगन की रैक 11 सितंबर 2022 को भिलाई इस्पात संयंत्र पहुंचने पर संयंत्र प्रभारी अनिर्बान दासगुप्ता समेत टॉप अफसरों ने जोशीला स्वागत किया है। रावघाट से नए सिरे से लौह अयस्क की आपूर्ति होने से बीएसपी के उत्पादन को नया टर्निंग प्वाइंट मिल गया है क्योंकि राजहरा से वर्ष 1955 अर्थात 67 सालोँ से हो रही लौह अयस्क की आपूर्ति कमज़ोर पड़ने लगी थी,जिसका असर बीएसपी के उत्पादन पर पड़ रहा था।यहां से सिर्फ 5 वर्षों तक लिए लौह अयस्क बचा है।तब दल्ली राजहरा के विकल्प के रूप में 15 साल पहले रावघाट माइंस की खोज की गई थी,जहां लौह अयस्क में 62 प्रतिशत  लौह की मात्रा पाई गई थी।रावघाट में संचित लौह भंडार 732 मिलियन टन आंकी गई है,जिसके 60 वर्षों  तक आपूर्ति करने लायक भंडार है।
गौरतलब है कि नक्सल प्रभावित नारायणपुर के रावघाट  माइंस परियोजना का पहला फेस पूरा कर लिया गया है।बीएसपी ने रावघाट से प्रतिवर्ष 03 लाख मीट्रिक टन लौह अयस्क के उत्खनन की अनुमति प्राप्त की है।दिसम्बर 2021 से उत्खनन कार्य किया जा रहा है,जिसको बीएसपी तक लाने के लिए बीएसपी और रेलवे द्वारा 150 किलोमीटर की रेल लाइन बिछाई गई।इसी रेल लाइन से लौह अयस्क को पहली तकनीकी ट्रायल लेते हुए अंतागढ़ से भिलाई संयंत्र तक लाया गया है।भिलाई से न्यूज़ टी-20 के संपादक बी डी निज़ामी ने बताया है कि सेल और भिलाई इस्पात संयंत्र के लिए रावघाट परियोजना बहुआयामी व बेहद महत्वपूर्ण परियोजना है।बस्तर के सुदूर वनांचल स्थित रावघाट परियोजना सेल व भिलाई इस्पात संयंत्र के साथ-साथ  छत्तीसगढ़ सरकार व केंद्र सरकार,दोनों के लिए चुनौती भरी रही है।छत्तीसगढ़ सरकार के वन विभाग के सहयोग से अंजरेल तक जाने और उत्खनन के लिए रास्ता बनाया गया।इस परियोजना के तहत रावघाट से लौह अयस्क उत्खनन और भिलाई तक लाने के लिए दल्ली राजहरा से नारायणपुर तक और नारायणपुर से जगदलपुर तक की रेललाइन परियोजना का कार्य बीएसपी और भारतीय रेलवे के माध्यम से जारी है।इस परियोजना के तहत दल्ली राजहरा से अंतागढ तक 60 किलोमीटर तक की लंबी रेललाइन का कार्य पूरा हो चुका है,साथ ही इसके आगे का कार्य बड़ी तेज़ी से जारी है।अंतागढ़ से लौह अयस्क के परिवहन को ध्यान में रखते हुए स्टेशन के करीब  वे-ब्रिज व स्टॉक यार्ड का निर्माण किया गया है।अभी सड़क मार्ग से परिवहन किया जा रहा है जबकि रेल लाइन का कार्य पूरा ही जाने के बाद लौह अयस्क का परिवहन रेल मार्ग से ही किया जावेगा। लौह अयस्क की पहली खेप के पहुंचने से इस्पात बिरादरी के साथ संयंत्र प्रभारी अनिर्बान दासगुप्ता के साथ संयंत्र के आला अफसरों ए के भट्ट,अंजनी कुमार,तपन सूत्रधार,एम एम गद्रे,एस मुखोपाध्याय,डॉ ए के पंडा,मानस बिस्वास,पी के सिन्हा,ए के मिश्रा,समीर स्वरूप,तापस दासगुप्ता सहित सभी मुख्य महाप्रबंधक व  वरिष्ठ अधिकारीगण स्वागत के लिए उपस्थित रहे।

बिजली-दर 30 पैसे महंगी,कोयले का वीसीए चार्ज बढ़ा,,,,

हमर छत्तीसगढ़ में घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को फिर लगा है ज़ोर का झटका और यह झटका लगा हैबिजली  30 पैसे प्रति यूनिट महंगी होने से लगा है,जबकि बिजली-बिल हाफ होना कायम है।मालूम रहे,कोयले की कीमत में कमी या बढोत्तरी पर बिजली कम्पनी वीसीए चार्ज बढाकर या घटाकर अपनी लागत को कंट्रोल करती है।वर्तमान में 30 पैसे प्रति यूनिट की बढोत्तरी आयायित कोयले से बनी बिजली खरीदने के कारण की गई है।गौरतलब है कि राज्य बिजली कम्पनी एन टीपीसी से बिजली खरीद रही है,उसके एवज में उसे 120 करोड़ रुपए अधिक देने पड़ रहे हैं।यही कारण है कि बढ़ी राशि वीसीए बढाकर समायोजित की गई है।बताते हैं,थर्मल पॉवर प्लांट्स को पर्याप्त मात्रा में घरेलू कोयला उपलब्ध नहीं होने के कारण केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने 15℅तक आयातित कोयला उपयोग करने की अनुमति दी है।बिजली कंपनियों को कहा गया कि वे आवश्यकता का कम से कम 9℅कोयला आयात करें।यह भी बताया जा रहा है कि जून 2022 से नेशनल थर्मल पॉवर कारपोरेशन(एन टीपीसी)के कुछ पॉवर प्लांट्स में 10 से 15% आयातित कोयले का उपयोग किया जा रहा है।आयातित कोयले की दर घरेलू कोयले की दर की तुलना में 4 से 6 गुना अधिक है।इसलिए आयातित कोयले से बन रही बिजली की दर 4 से 6 गुना अधिक है।बताते हैं,जनवरी से मार्च तक एनटीपीसी के संयंत्रों से छत्तीसगढ़ में खरीदी जा रही बिजली में केवल ऊर्जा प्रभार की एवरेज 1.97 रुपए प्रति यूनिट थी।जून से अगस्त के बीच इसका एवरेज 2.78 रुपए प्रति यूनिट हो गई थी।एक अनुमान के चलते बिजली महंगी होने पर यदि 400 यूनिट का बिल 1826 रुपए से हाफ छूट से होगा 913 रुपए,, परन्तु अब अगले माह से बिल आएगा 1033 रुपए का,तो यह उपभोक्ता को 120 रुपए अधिक देने का झटका तो लगेगा ही।

कोरबा वन मंडल में “कोबरा सर्प” की बहुतायत, अब होगा कोबरा-संरक्षण,,,,,

हमर छत्तीसगढ़ में ऊर्जा नगरी कोरबा के शहरी-ग्रामीण इलाकों में सभी तरह के सर्पों,विशेषकर कोबरा प्रजाति के सर्पों का बहुतायत में पाया जाना गम्भीर माना जा रहा है।पहले तो सर्प मिलने या दिखने पर आमजन इनको मार देते थे लेकिन अब इन कोबरा या अन्य सर्पों को पकड़ने(रेस्क्यू)के लिए जितेंद्र सारथी को बुलवा लेते हैं,जो इन सर्पो  का रेस्क्यू करके जंगल में छोड़ आते हैं।कोरबा वन मंडल इस पर अध्ययन कर निषकर्ष पर पहुंचा कि कोरबा में कोबरा को संरक्षण मिलेगा यानी इनका सुरक्षित ठिकाना बनाया जाएगा।बताते हैं,कोई एक साल पहले कोरबा के लेमरू वनांचल में वन विभाग को कोबरा विषधर मिला था,जो 18 फुट लंबा था और यह अन्य प्रजातियों के सर्पों को नियंत्रित करता है।अब यह जानकारी मिली है कि कोरबा ज़िले में  सिर्फ किंग कोबरा ही नहीं, कोबरा की अन्य प्रजातियों के सर्प भी बड़ी तादाद में मिल रहे  हैं।लेमरू के वनांचल के साथ ही रामपुर व खरमोरा के अलावा जांजगीर के सरहदी इलाकों में कोबरा की प्रजातियों के सर्पों को पाया गया है।बताते हैं कि सर्पों का रेस्क्यू करने वाले जितेंद्र सारथी की टीम वन विभाग के साथ मिलकर काम करती है।इस रेस्क्यू टीम को ज़िले के कईं इलाकों में कोबरा को पाया गया।गौरतलब है कि इसी साल जुलाई से अब तक 500 से ज़्यादा कोबरा प्रजाति के सर्पों का रेस्क्यू किया गया है।रेस्क्यू लीडर जितेंद्र सारथी का कहना है कि कोरबा ज़िले में कोबरा,किंग कोबरा  के साथ ही अन्य प्रजातियों के कोबरा सर्पों की बहुतायत हो चुकी है।जितेंद्र सारथी ने बताया कि हमने इसी साल पिछले तीन महीनों में करीब 2500 सर्पों का रेस्क्यू किया है ,जिनमें 500 से अधिक कोबरा प्रजाति के सर्प मिले हैं।कोरबा वन मंडल का मानना है कि कोबरा व अन्य प्रजातियों के सर्पों को संरक्षित किए जाने के लिए “कार्ययोजना” भी तैयार की जा रही है और आमजनों को जागरूक बनाया जा रहा है।

अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन ने12 दिनोँ से जारी अपनी हड़ताल की खत्म,,,,,

हमर छत्तीसगढ़ के अधिकारी-कर्मचारी     अपनी अनिश्चतकालीन हड़ताल को खत्म कर काम पर लौट आएं हैं।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जनता की परेशानियों को देखते हुए हड़ताल खत्म करने की अपील कर चुके थे।इसके उलट, विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता हड़तालियों को उनके मंच पर जाकर उनकी हड़ताल कोअपना पुरजोर समर्थन दे चुके थे।सियासी ड्रामे के बावजूद, कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे की मध्यस्था में मुख्यमंत्री की अपील एवं आश्वासन पर बातचीत की गई।अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन की कोर कमेटी की बैठक में भी मुख्यमंत्री के आश्वासन व अपील पर चर्चा हुई,जिसके बाद 12 दिनी हड़ताल समाप्ति का फैसला लिया गया।मालूम रहे कि अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन महंगाई भत्ता व गृह भाड़ा भत्ता की मांग को लेकर हड़ताल कर रहे थे।उधर,आम जनता सरकारी कामकाज के अभाव में परेशानियां झेल रही थी।मुख्य्मंत्री ने आश्वासन दिया था कि राज्य की वित्तीय स्थिति को देखते हुए कर्मचारी-हित में सरकार फैसला लेती रहेगी।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी अपील के दौरान कहा था कि यदि 2 सितंबर तक हड़ताल खत्म कर काम पर उनकी वापसी होती है तो हड़ताल अवधि के 5 दिनों का अवकाश स्वीकृत कर वेतन भुगतान किया जावेगा।हड़ताल खत्म होने से सियासी दावपेंच की हवा निकल गई और जनता ने राहत की सांस ली।

बालोद की किरण पिस्दा भारतीय फुटबाल टीम में शामिल पहली महिला खिलाड़ी बनी,,,,,

हमर छत्तीसगढ़ में होनहार सितारों की कोई कमी नहीं है,ये बात साबित करतीं बालोद ज़िले की निवासी किरण पिस्दा,जो भारतीय महिला फुटबॉल टीम में चुनी गईं हैं।किरण राजधानी रायपुर में स्वामी विवेकानन्द स्टेडियम में खेल विभाग द्वारा संचालित बालिक़ा फुटबॉल अकादमी से प्रशिक्षण ले रहीं हैं।यहां खेल विभाग की प्रशिक्षक सरिता कुजूर तोप्पो से प्रशिक्षण ले रहीं थीं।भारतीय फुटबॉल टीम में किरण पिस्दा फॉरवर्ड पोजीशन में खेलेगी।नेपाल में आयोजित साउथ एशियन फुटबॉल चेम्पियनशिप 2022 में भाग लेंगी।इसमें भारत ग्रुप-ए में हैं और पहला मैच पाकिस्तान के विरुद्ध खेलेगी।खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने छत्तीसगढ़ में बालोद ज़िले की बेटी किरण पिस्दा को भारतीय फुटबॉल टीम में चयन होने पर बधाइयां दी है।

हमर छत्तीसगढ़ में महासमुंद शहर की चर्चित शायरा सबीना खत्री”सबी” फरमाती हैं,,,
“आईने से अपना चेहरा कब तक छुपाओगे,,,
फरेब देकर  ख़ुद को कब तक बहलाओगे”,,,,,

 

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