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श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर स्थित हज़रतबल दरगाह, जिसे मोई-ए-मुक़द्दस (पैग़ंबर मोहम्मद की दाढ़ी का बाल) के कारण पूरी दुनिया में खास अहमियत हासिल है, इन दिनों एक विवाद के चलते चर्चा में है। दरगाह परिसर में हाल ही में लगाए गए फाउंडेशन स्टोन पर बने अशोक चिह्न को लेकर स्थानीय लोगों ने नाराज़गी जताई और शुक्रवार को इसे तोड़ने की कोशिश भी की।
क्यों है हज़रतबल दरगाह खास
हज़रतबल दरगाह को अस्सार-ए-शरीफ़, दरगाह शरीफ़ और मदीनात-उस-सनी के नाम से भी जाना जाता है।
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यहां पैग़ंबर मोहम्मद का मोई-ए-मुक़द्दस रखा गया है।
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इसे 1699 में कश्मीर लाया गया था और बाद में हज़रतबल में सुरक्षित रखा गया।
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1968 में मुस्लिम औक़ाफ़ ट्रस्ट की देखरेख में यहां पुनर्निर्माण शुरू हुआ और 1979 में कार्य पूर्ण हुआ।
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शब-ए-मेराज और ईद-ए-मिलाद-उन-नबी जैसे मौकों पर यहां लाखों जायरीन जुटते हैं।
अशोक स्तंभ पर विवाद कैसे शुरू हुआ
दरगाह में पुनर्निर्माण कार्य के दौरान लगे फाउंडेशन स्टोन पर जम्मू-कश्मीर वक़्फ़ बोर्ड की चेयरपर्सन दरक्शां अंद्राबी और अन्य सदस्यों के नाम के साथ ऊपर अशोक चिह्न भी अंकित था।
यही चिह्न विवाद की वजह बना। आलोचकों का कहना है कि धार्मिक स्थल पर इसे लगाना मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को आहत करने जैसा है।
शुक्रवार को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के दिन गुस्साए लोगों ने इस स्टोन को तोड़ने का प्रयास किया। इसके वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गए।
राजनीतिक बयान और बढ़ा बवाल
इस घटना के बाद दरक्शां अंद्राबी ने इसे “अफ़सोसजनक हमला” बताते हुए एक राजनीतिक पार्टी पर इशारा किया। उन्होंने कहा—
“नेशनल एम्बलेम को तोड़ना अपराध है। यह दरगाह की संपत्ति को नुक़सान पहुंचाने जैसा है। ऐसे लोगों की पहचान कर उनके ख़िलाफ़ पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज होनी चाहिए और उन्हें उम्रभर के लिए दरगाह से बैन किया जाएगा।”
वहीं, विपक्षी नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) ने इस पूरे विवाद पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि —
“हमारे मज़ार आस्था, विनम्रता और एकता के प्रतीक हैं। इन जगहों को इबादत का स्थान बने रहना चाहिए, विभाजन का नहीं।”
दरगाह के बाहर सुरक्षा कड़ी
शनिवार को दरगाह शरीफ़ के बाहर भारी सुरक्षा बल तैनात किए गए। प्रशासन ने स्पष्ट किया कि मामले की जांच की जा रही है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
हज़रतबल दरगाह, जो मुसलमानों की गहरी आस्था का केंद्र है, अब राजनीतिक और धार्मिक विवादों के बीच आ गई है। जहां एक ओर लोग इसे अपनी भावनाओं से जोड़कर देखते हैं, वहीं दूसरी ओर अशोक स्तंभ को लेकर उठा विवाद घाटी की नाज़ुक स्थिति को और संवेदनशील बना रहा है।