Newindianews/CG मीडिया के माध्यम से लगातार बिल्डरों की कारगुजारियों को उजागर कर शासन-प्रशासन के संज्ञान में सरकारी जमीन के कब्जे करने षडियंत्र तरीके से अंजाम दिया जा रहा है जिस पर राजस्व विभाग को संज्ञान में लेकर तत्काल कार्रवाई करना चाहिए। राजधानी के शातिर बिल्डर आउटरों और सरकारी योजना से जुड़े प्रोजेक्ट में सरकारी घासभूमि, कोटवारी भूमि की जानकारी अपने सोर्स से निकलवा लेते है, फिर उस पर प्लानिंग के तहत उसके आसपास की जमीन खरीदते है जिससे सरकारी जमीन को घेरते बन जाए। यह खेल पिछले कई सालों से तहसीलदार, पटवारी,आरआई,नगर निगम, टाउन कंट्री प्लानिंग विभाग अधिकारियों से सांठगांठ कर से सांठगांठ कर सरकारी जमीन से जुड़े मामले में नक्शा खसरा निकाल कर उसे कब्जाने दुस्साहस करते है। मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार को युथ कांग्रेस के दक्षिण विधानसभा महासचिव मतलूब कुरैशी की शिकायत पर चौरसिया कॉलोनी पास गली नंबर 1 के आखिर में अवैध निर्माण काम चल रहा था शिकायत में कहा गया की चौरसिया कॉलोनी के समीप डबरी इस्थित थी जिस पर कुछ दीनो से अवैध अतिक्रमण का कार्य चल रहा है जिसकी वजह से वह के लोगो को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड रहा है वही शिकायत पत्र में बिल्डरों के पास कागज न होने की बात कही गई है
वही के निवासरत लोग का कहना रात देर रात ट्रको का अवगाम से धुल मिटटी उड़ने से स्वस्थ ख़राब हो रही है जिसका असर बच्चो और वृद्धो ज्यादा हो रहा है इस तरह से लोग ने इस्थानिया नेता से संपर्क किया जिसकी शिकायत कलेक्टर को की गई कलेक्टर ने तत्काल प्रभाव में अपने सम्बंधित अधिकारी को जांच के लिए भेजी जगह का मुआयना किया जांच के आदेश दिए
सरकारी जमीन पर कब्जा का यह खेल पिछले पांच-सात साल से या उससे भी पहले यहां चल रहा है। इतने वर्षों के बाद भी अफसरों को इसकी जानकारी नहीं होना बड़ी बात है। इस पूरे खेल में सरकारी सिस्टम की भी भूमिका जांच के घेरे में है। सरकारी जमीन पर कब्जा सरकारी जमीन पर कब्ज़ा तो इनका सबसे आसान काम है निजी जमीनों को हथियाने में बिल्डर पीछे नहीं रहते।
आपको बता दे मिली जानकारी के अनुसार चौरसिया कॉलोनी के पास एक बिल्डर जो पार्षद का करीबी बता कर प्लाटिंग कर रहा है। सूत्र बताते हैं कि बिल्डर के इस अवैध खेल में पार्षद का भी हाथ है। इस वजह से निगम के अधिकारी ध्याना नहीं दे रहे।
सरकारी जमीन पर कब्जा फिर उस पर कालोनी बनाना उसके बाद प्लाटिंग कर बेचना सबकुछ अचानक और रातों रात नहीं हुुआ है।
राजधानी रायपुर और उससे लगे आस-पास के इलाकों में सरकारी खाली जमीनों पर कब्जा कर प्लाटिंग और हाउसिंग प्रोजेक्ट डेव्हल्प किया जा रहा है। अधिकारी भी इस मामले में कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है, क्योंकि भू माफियो को राजनीतिक संरक्षण भी मिला हुआ है जिसके चलते वे अपना काम बनवा लेते हैं। अपनी राजनीतिक रसूख और अधिकारियों से सांठगांठ कर ये भू-माफिया करोड़ों का प्रोजेक्ट लांच कर अपनी तिजोरी भर रहे हैं। सरकारी जमीनों से लगे किसानों की कृषि जमीनों को औने-पौनेे दाम पर खरीद कर सरकारी जमीनों की पटवारियों व राजस्व अधिकारियों की मिली भगत से फर्जी दस्तावेज तैयार कर कई बड़े-बड़े बिल्डर अपना धंधा चमका रहे हैं। ऐसे कई मामले सामने आए जिसमें बिल्डरों ने खरीदे हुए जमीन के बीच में आने वाली सरकारी जमीनों और सडक़ व रास्ते के जमीनों को दबा कर अपने आलिशान प्रोजेक्ट तैयार किए।