

New India News/Raipur 1500 साला जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी इस बार हर मायने में ऐतिहासिक साबित हुआ। शहर सीरत-उन-नबी कमेटी रायपुर द्वारा आयोजित कार्यक्रमों ने मुस्लिम समाज में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार किया। बच्चों से लेकर बुज़ुर्गों तक, सभी वर्ग के लोगों ने इस बार सीरत कमेटी के निर्णयों का खुलकर समर्थन किया। खासकर डीजे और पटाखों पर लगाए गए प्रतिबंध को समाज के सभी वर्गों ने सराहा और एकजुट होकर उसका पालन किया।
सीरत कमेटी के सदर मोहम्मद सोहैल सेठी ने नबी-ए-पाक हज़रत मोहम्मद ﷺ के आखिरी ख़ुत्बे की तालीमात को आधार बनाकर समाज को एक मंच पर लाने का सफल प्रयास किया। उन्होंने साफ किया कि मिलादुन्नबी का जुलूस सिर्फ़ जश्न का नहीं, बल्कि नबी के पैग़ाम को आम करने का एक जरिया है। यही वजह रही कि इस बार सभी फिरकों और तबकों के लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए और भाईचारे का बेहतरीन संदेश दिया।
राज्य स्तरीय नातिया व इस्लामिक क्वीज़ प्रतियोगिता
जश्न के अंतर्गत 13 सितम्बर को रायपुर स्थित शहीद स्मारक भवन में राज्य स्तरीय छात्र-छात्राओं का नातिया प्रोग्राम और इस्लामिक क्वीज़ प्रतियोगिता आयोजित की गई। इस आयोजन में प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए बच्चों ने हज़रत मोहम्मद ﷺ की जीवनी पर लेख, नात, तक़रीर और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दीं। बच्चों की प्रस्तुति ने श्रोताओं का दिल जीत लिया और माहौल रूहानी रंग से भर गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद अकबर, वक्फ बोर्ड चेयरमैन डॉ. सलीम राज, पूर्व हज कमेटी अध्यक्ष असलम खान और भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष ई. मखमूर इक़बाल खान रहे। सभी अतिथियों ने छात्रों को संबोधित करते हुए शिक्षा के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि माता-पिता बच्चों की तालीम को प्राथमिकता दें ताकि वे न केवल परिवार बल्कि प्रदेश और देश का नाम रोशन कर सकें।

1500 छात्रों को मिला सम्मान
इस अवसर पर करीब पन्द्रह सौ छात्र-छात्राओं को प्रमाणपत्र (सर्टिफिकेट) प्रदान कर उनका हौसला अफजाई की गई। कमेटी की ओर से छात्रों को इमामा और छात्राओं को हिजाब भेंट कर इस्लामी पहचान का सम्मान दिया गया। कार्यक्रम में समाज सेवा, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाले लोगों को भी शाल और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
समाज में उत्साह और नई सोच
इस पूरे आयोजन ने न केवल बच्चों में धार्मिक और सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ाई बल्कि समाज में भी एक नई सोच पैदा की। लगातार आयोजित हो रहे बैक-टू-बैक प्रोग्राम्स ने यह साबित कर दिया कि सीरत कमेटी केवल जुलूस तक सीमित नहीं, बल्कि शिक्षा और जागरूकता के क्षेत्र में भी गंभीर प्रयास कर रही है।
मुस्लिम समाज में यह भावना गहरी हुई कि कमेटी का उद्देश्य सिर्फ़ त्योहार का आयोजन नहीं, बल्कि नई पीढ़ी को सही दिशा देना और उन्हें शिक्षा व संस्कार से जोड़ना है। यही वजह रही कि इस बार मिलादुन्नबी के जुलूस से लेकर नातिया प्रोग्राम तक हर कार्यक्रम को समाज का जबरदस्त समर्थन मिला।
सोहैल सेठी की नेतृत्व शैली
सीरत कमेटी के सदर मोहम्मद सोहैल सेठी ने अपने नेतृत्व से यह संदेश दिया कि अगर नीयत साफ हो और मकसद कौम की बेहतरी हो, तो हर तबके के लोग साथ आते हैं। उन्होंने बार-बार इस बात पर ज़ोर दिया कि नबी-ए-पाक ﷺ की तालीमात पर अमल ही समाज को तरक्की की राह दिखा सकता है। उनके नेतृत्व में पहली बार ऐसा देखने को मिला कि सभी फिरके और इदारे एकजुट होकर कमेटी के साथ खड़े दिखाई दिए।
नयी राह की ओर संकेत
1500 साला जश्न-ए-मिलादुन्नबी के अवसर पर हुए कार्यक्रमों ने रायपुर ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक मिसाल कायम की है। बच्चों को मंच देकर कमेटी ने यह साबित किया कि समाज का भविष्य तभी रोशन होगा, जब नई पीढ़ी को अवसर दिए जाएं और उन्हें तालीम के साथ सही दिशा दिखाई जाए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता खुद सदर मोहम्मद सोहैल सेठी ने की और उन्होंने अंत में यह संकल्प दोहराया कि आने वाले समय में सीरत कमेटी शिक्षा, सामाजिक सेवा और भाईचारे के लिए और भी बड़े स्तर पर कार्य करेगी।
