New India News/Raipur
रायपुर। मोवा स्थित श्री बालाजी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने एक अत्यंत जटिल और दुर्लभ सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम देकर दंतेवाड़ा निवासी 38 वर्षीय युवक पंकज महापात्र को नया जीवन दिया है। मरीज की आहार नली पूरी तरह खराब हो चुकी थी, ऐसे में विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने पेट की आंत का उपयोग कर नई आहार नली तैयार की।
बचपन की सामान्य लगने वाली समस्या बनी जानलेवा
पंकज महापात्र को बचपन से ही भोजन निगलने में परेशानी होती थी। तेज़ी से खाना खाने पर उसे उल्टी की शिकायत रहती थी, जिसे परिजनों ने सामान्य समस्या मानकर नजरअंदाज कर दिया। दो वर्ष पूर्व जगदलपुर में कराई गई एंडोस्कोपी के दौरान उसके गले में बादाम फंसा पाया गया, जिसे निकाल दिया गया, लेकिन समस्या बनी रही।
समय के साथ उसकी हालत बिगड़ती चली गई और स्थिति गंभीर होने पर उसे रायपुर के श्री बालाजी हॉस्पिटल रेफर किया गया।
जांच में सामने आई दुर्लभ बीमारी
श्री बालाजी हॉस्पिटल में डॉ. पुष्पेंद्र नायक के नेतृत्व में की गई जांच में सामने आया कि मरीज की आहार नली में कई स्थानों पर डायवर्टिकुलम (Diverticulum) बन चुके थे, जिससे आहार नली पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी। स्थिति इतनी गंभीर थी कि मरीज के शरीर में मवाद फैल चुका था और उसे अस्पताल पहुंचते ही वेंटिलेटर पर शिफ्ट करना पड़ा।
जटिल सर्जरी: पेट की आंत से बनाई गई नई आहार नली
डॉक्टरों की विशेषज्ञ टीम ने साहसिक निर्णय लेते हुए मरीज की पेट की आंत के एक हिस्से का उपयोग कर नई आहार नली बनाने का निर्णय लिया। सर्जरी के दौरान आंत के हिस्से को प्रतिरोपित कर छाती और पेट के रास्ते नई आहार नली का निर्माण किया गया।
सर्जरी के बाद मरीज करीब 7 दिनों तक वेंटिलेटर पर रहा। डॉक्टरों की सतत निगरानी, समर्पण और टीमवर्क के चलते अब मरीज पूरी तरह स्वस्थ है और सामान्य रूप से भोजन कर पा रहा है।
इन विशेषज्ञों की टीम ने दिलाई सफलता
इस जटिल सर्जरी को सफल बनाने में निम्न चिकित्सकों की अहम भूमिका रही—
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सर्जिकल टीम:
डॉ. पुष्पेंद्र नायक, डॉ. आयुषी शर्मा, डॉ. यश गोनडुडे, डॉ. समयक जैन, डॉ. अखिलेश्वर, डॉ. हेमंत वर्मा -
एनेस्थीसिया टीम:
डॉ. रीमा वाधवा, डॉ. सादिया शकील -
क्रिटिकल केयर:
आईसीयू में डॉ. प्रफुल्ला अग्निहोत्री एवं उनकी टीम
डॉक्टरों की सलाह
डॉक्टरों ने आम लोगों से अपील की है कि यदि किसी को बचपन से भोजन निगलने में परेशानी या बार-बार उल्टी की समस्या हो, तो इसे हल्के में न लें। यह आहार नली की गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है और समय पर इलाज जीवन रक्षक साबित हो सकता है।
