New India News
देश-विदेशनवा छत्तीसगढ़

इस्लामी तारीख की सबसे पहली जंग, जंग-ए-बद्र में तादात नही ईमान था

 


क्या आप को पता है आज 17 रमज़ान इस्लामी तारीख की सबसे पहली जंग, जंग ए बद्र हुई थी
जब ज़ालिम अबू जहल का ज़ुल्म हद से बड़ गया तो हुज़ूर पुरनूर नबी ए करीम सल्ललाहो अलेहे वसल्लम अपने 313 सहाबा ए किराम अज़मइन के साथ सन् 2 हिजरी में मदीने शरीफ से बद्र के मुक़ाम तक पहुंचे जहा कुफ्फार के साथ जंग ए बदर का मशहूर वाकया रुनुमा हुआ

📜🍁

जंग ए बद्र के लिए जब ये लश्कर रवाना हुआ और मदीने की गलियों से बाहर निकला तो यहूदी अपनी दुकानों पर बैठे हुवे थे और हंसी में मुसलमानों का मज़ाक उड़ाते हुवे कहा ए मुसलमानों कहा जा रहे हो ना तो तुम्हारे पास असला है ना तीर है ना तलवारे है ना खाने को कुछ है और इतनी बड़ी ताकत से लड़ने जा रहे हो आखिर किस चीज़ का गुमान है तुम्हे।

📜🍁

सहाबा ने प्यारे आका हुज़ूर صلی اللہ علیہ وسلم की तरफ देखा और कहा ना तेगो तीर पर तकिया ना खंजर पर न भाले पर भरोसा है तो इस सादी से काली कमली वाले पर।

📜🍁

वो कहते हैं ना बना कर अपने सीनों की सतर अयाते कुरान को बज़ाहिर चंद तिनके रोकने निकले थे तूफ़ान को।

📜🍁

मोहब्बत की जोश में ये काफिला आगे बढ़ता जा रहा था अजीब हालत है रोज़ा मुंह में है, खाने को खाना नही लड़ने को समान नही खजूरों को चूसते हुवे इश्क ए मोहम्मद में बढ़ता जा रहा था।

📜🍁

जब ये काफिला बद्र के मैदान में पहुंचा तो काफिरों का लश्कर पहले से वहां मौजूद था ऊंचे टीलो पर ढेरा डाला हुआ था।

📜🍁

और जब जंग हुई तो इन 313 मुस्लिमों ने 1000 कुफ़्फ़रो को शिकस्त दे दी।

📜🍁

आप को बता दें जंगे बद्र में सिर्फ़ 313 अफ़राद, 70 ऊंट, 3 घोड़े, 8 तलवारे और 6 ज़िरह थी।

जबकि लश्करे कुफ़्फ़ार के पास 1000 अफ़राद, 700 ऊंट, 100 घोड़े, 950 तलवारे और 950 ज़िरह और भले थे ।

📜🍁

कुफ़्फ़ार के लश्कर में खाने पीने का सामान बड़ी कसरत से था रोजाना 11 ऊंट ज़िबह करके खाते थे जबकि इस्लामी लश्कर में ज़ादे राह की यह हालत थी कि किसी के पास 7 तो किसी के पास 2 खजूरे थी

📜🍁

इस जंग में 70 काफिर मारे गए और 14 सहाबा शहीद हुवे और इन 70 काफिरों में अबू जहल भी था और इन 70 में से 35 को अकेले मौला ए कायनात हज़रत अली शेरे खुदा के जहन्नम भेजा था।

📜🍁

क्या बात है सरकारे दो आलम सल्ललाहो अलेहे वसल्लम की के जब लोग उनको मारने की गरज से आते और आप अपनी रहमत ए बा करम के सदके उन काफिरों को छोड़ देते।

📜🍁

अब एक नज़र जंगे बद्र पर डालिए और अपने वजूद पर ग़ौर व फ़िक्र करिये कि की एक वक्त वो था जब हम 313 थे, और हजारों काफिरों पर गालिब आए और एक वक्त आज हैं।

📜🍁

आज हमारे पास क्या नहीं है, बताइये, फिर भी हर जगह बेबस है हम मारे काटे जलाए जा रहे है जिसका दिल होता है जब चाहता है हमारे नबी की शान में गुस्ताखी कर देता है कुरान हमारे जलाए जा रहे हैं हर वक्त ज़ालिम गालिब है हम पर।

📜🍁

आखिर क्यों क्यू की जंग ए बद्र में तादात नही ईमान था और आज हमारे पास तादात है लेकिन वो ईमान नहीं है, और एक मुसलमान की सबसे बड़ी ताकत उसका ईमान होता है दुवा उसका हथियार है और अल्लाह ईमान वालो के साथ होता है, उनके साथ हरगिज़ नही जो दुनिया की चमक धमक में अपने ईमान को बेच चुका है।

📜🍁

हम बड़े फख्र से कहते हैं हमारे यहां 313 हजारों से लड़ लेते हैं हम बड़े फख्र से अपनी तारीखों को बयां करते हैं हम बड़े फख्र से हज़रत सुल्तान सलाहुद्दीन अयूबी, आर्तुग्रुल गाज़ी,  और टीपू सुल्तान, खालिद बिन वलीद जैसे बहादुरों की मिसाल देते हैं, मुझे बताओ क्या वाकई हमारा ईमान उन जैसा है हकीकत देखी जाए तो उनके पैरों की धूल भी नहीं हम।

📜🍁

हमने अल्लाह के दीन को छोड़ दिया अल्लाह ने हमे दुनिया में रुसवा होने के लिए छोड़ दिया।

📜🍁

पैदल न वज़ीर न सुलतान लड़ा था झूटो के बीच सच का निगहेबान लड़ा था
हजारों से भी ज़्यादा पर 313 ने फतह पा ली थी क्यों की बद्र में इंसान नही ईमान लड़ा था।

 

(🍁 अलतमश रज़ा खान 🍁)

( उत्तर प्रदेश, बरेली, मोहल्ला शाहबाद

Related posts

बालोद में एम्प्लाय-एम्पलॉयर्स मीट: 183 युवाओं का चयन

newindianews

खड़गे जी के व्यापक अनुभव का लाभ कांग्रेस को मिलेगा, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव से पार्टी के भीतर लोकतंत्र मजबूत हुआ है

newindianews

मिलिये मंत्री से कार्यक्रम में 17 नवंबर को राजीव भवन में मंत्री ताम्रध्वज साहू कार्यकर्ताओं से मिलेंगे

newindianews

Leave a Comment