छत्तीसगढ़ गौसुल आजम कमेटी बैजनाथपारा द्वारा आयोजन
New Indian News / Raipur छत्तीसगढ़ गौसुल आजम कमेटी बैजनाथपारा की ओर से आयोजित जुलूस-ए-गौसिया का ऐतिहासिक आयोजन 05 अक्टूबर को बड़े ही शानदार और शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ। यह जुलूस बेनज़ानयापारा स्थित महबूबिया चौक से दोपहर चार बजे प्रारंभ हुआ, जो शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए सीरत मैदान तक पहुँचा। पूरे मार्ग में जुलूस का कई स्थानों पर भव्य स्वागत किया गया। जगह-जगह स्वागत द्वार बनाए गए और पुष्प वर्षा कर जुलूस का अभिनंदन किया गया।
सीरत मैदान पहुंचने के बाद कार्यक्रम का औपचारिक समापन हुआ, जहां उलेमा-ए-किराम की मौजूदगी में परचम कुशाई की गई। इस अवसर पर हज़रत मौलाना एहतेशाम अली फारूकी ने हज़रत गौस-ए-पाक की जीवनी पर विस्तार से प्रकाश डाला और उनके बताए हुए रास्ते पर चलने की सीख दी। उन्होंने कहा कि हज़रत गौस-ए-पाक की तालीमात इंसानियत, अमन और मोहब्बत का पैग़ाम देती हैं, जिन्हें हमें अपनी ज़िंदगी में उतारना चाहिए।
कार्यक्रम में शहरभर से आए लोगों ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। बताया गया कि इस जुलूस में हजारों की संख्या में अकीदतमंदों ने शिरकत की और पूरे इलाके में एकता और भाईचारे का सुंदर संदेश दिया। शहरवासियों और स्थानीय मोहल्लों के लोगों ने बड़ी गर्मजोशी से जुलूस का स्वागत किया।
इस मौके पर गौसुल आजम अवार्ड की घोषणा भी की गई, जिसे इस वर्ष हज़रत मौलाना हारून मुशाहिदी साहब (इमाम, ईदगाहभाटा मस्जिद) को प्रदान किया गया। इस सम्मान के साथ ₹11,000 की राशि भी भेंट की गई।
विविध प्रतियोगिताओं के परिणाम भी घोषित किए गए —
प्रथम पुरस्कार: अमीना निसा, इकरा स्कूल राजातालाब
द्वितीय पुरस्कार: उम्मे फातिमा, गरीब नवाज़ स्कूल
तृतीय पुरस्कार: अर्शिया फातिमा, हॉलिक क्रॉस स्कूल
वहीं बेहतरीन जुलूस की श्रेणी में —
प्रथम स्थान: सुन्नी दावेत-ए-इस्लामी
द्वितीय स्थान: मुस्लिम जमात, काशीराम नगर
तृतीय स्थान: चिश्तिया ग्रुप, रहमानिया चौक को दिया गया।
कार्यक्रम के सफल संचालन में कई गणमान्य व्यक्तियों की अहम भूमिका रही। इनमें मो. फुरकान, डॉ. मुजाहिद अली फारूकी, हाजी परवेज़ अख्तर, नदीम मेमन, इकबाल शरीफ, बदरुद्दीन खोखर, कारी इमरान अशरफी, डॉ. अतीकुर रहमान, शकील चौहान, शोएब भाई, ई. महमूद इकबाल, हाजी रियाज (अजु भाई), तासिर भाई, तौसीफ भाई, रमीज अशरफ, मोइन भाई और फैजान कुरैशी शामिल रहे।
पूरे आयोजन में अनुशासन और भाईचारे की मिसाल देखने को मिली। जुलूस-ए-गौसिया ने एक बार फिर यह संदेश दिया कि धार्मिक आयोजन तभी सफल होते हैं जब उनमें एकता, अमन और इंसानियत का जज्बा शामिल हो।