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भोपाल पर शासन कर चुकी शाहजहां बेगम के बारे में कितना जानते हैं आप..?

शाहजहां नाम सुनते ही आपके दिमाग में ताजमहल की छवि बनती होगी और मुगल बादशाह शाहजहां का नाम आप के ज़हन में आता होगा

लेकिन आज हम इस लेख में आप को भोपाल पर शासन कर चुकी शाहजहां बेगम के बारे में बताएंगे।

Newindianews/UP आज़ाद हिन्दोस्तान के पीछे ऐसी कई महिलाओं का हाथ है, जिन्होंने हिन्दोस्तान को आज़ादी दिलाने के लिए पूर्ण योगदान दिया। इतिहास के पन्नों में कई ऐसी महिलाओं के नाम दर्ज हैं, जिन्हे पड़ा जाना चाहिए। हिन्दोस्तान में बसे हर राज्य की अपनी अलग कहानी और संघर्ष हैं। भोपाल भी कई मायनों में खास है क्योंकि यहां कई सालों तक महिलाओं का शासन रहा है।

आज हम आपको शाहजहां बेगम के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने ना सिर्फ भोपाल पर शासन किया बल्कि कई प्रेरणादायक काम भी किए। शाहजहां बेगम का जन्म भोपाल के इस्लाम नगर में हुआ था, वह भोपाल पर शासन करने वाली तीसरी महिला थी। इनकी मां का नाम ( सिकंदर बेगम ) था, इनके पिता का नाम ( जहांगीर मोहम्मद खान ) था इस्लाम नगर की स्थापना दोस्त मोहम्मद खान ने सन् 1708 में अपनी राजधानी बनाकर अपना शासन स्थापित करके की थी, तो चलिए जानते हैं भोपाल और उनसे जुड़ी कई हैरत एंगेंज़ बातें।

कैसी थी भोपाल की रियासत..?
आज भोपाल राज्य की अपनी एक अलग पहचान है, संस्कृति है, खूबसूरती है। आज जो भोपाल हमारे सामने हैं और इसे बनाने में कई लोगों ने कड़ी मेहनत व संघर्ष किए हैं, जिसे कभी नकारा नहीं जा सकता है। प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक भोपाल की रियासत पर हमेशा से मुस्लिम पुरुष शासकों और नवाबों का शासन रहा है।

लेकिन इसके बावजूद कई महिलाओं ने अपनी प्रतिभा, मेहनत और लगन से राजनीति और सार्वजनिक जीवन में एक लंबा इतिहास रच दिया है। इतिहास गवाह है कि कैसे दोस्त मुहम्मद की पत्नी, फतेह बीबी ने राजपूतों और मराठों से युद्ध करने वाले हमलों के खिलाफ भोपाल में अपनी संपत्ति का बचाव किया था।

शाहजहां बेगम का नाम इतिहास के पन्नों में सिर्फ इसलिए दर्ज नहीं है क्योंकि उन्होंने भोपाल पर राज किया। बल्कि उन्होंने कई ऐसे काम किए जो काबिले तारीफ हैं। शाहजहां बेगम को इमारते बनवाने का बहुत शौक था इसलिए उन्होंने रंगमहल के नाम से अपने रहने के लिए एक महल बनवाया था, जिसे उसकी खूबसूरती की वजह से भोपाल में ताजमहल कहा जाता था, ये भोपाल की एक बेहद खूबसूरत इमारत थी, जो 13 साल में बन कर तैयार हुई थी, मगर अफसोस उसकी देखभाल की कमी की वजह से उसकी खूबसूरती वाकी नही रही और उसमे लगा समान लोग लूट कर ले गए।

 इंग्लैंड में मस्जिद का निर्माण 
आप को बता दें इंगलैंड में इस्लाम बहुत आख़िर मे पहुंचा है, वहां इस्लाम ले जाने में सबसे बड़ा हाथ हिन्दोस्तान के मुसलमानो का है, आप को बता दें यहां पढ़ने वाले मुस्लिम छात्रों वा लोगो के लिए नामज़ पड़ने के लिए कोई मस्जिद या इबादत की जगह नहीं थी, वहां के लोग घरों में नमाज़ पढ़ते थे, जब बेगम शाहजहां का का इंग्लैंड में दौरा हुआ तो यहां पर मुस्लिम स्टूडेंट्स के कहने पर एक मस्जिद भोपाल की बेगम शाहजहां की मदद से 1889 में बनवाई गई आप को बता दें ये उस वक्त की इंग्लैंड को पहली मस्जिद थी जो भोपाल की बेगम शाहजहां को मदद से बनी थी।

यही नहीं उन्होंने भोपाल में नूर मस्जिद, बेनजीर मंजिल, नूर महल, निशात मंजिल, नवाब मंजिल आदि बनवाई, इसके अलावा, उन्होंने नवाब जहांगीर मोहम्मद खान और सिकन्दर बेगम के नाम से मकबरे भी बनवाए।

लिखी उर्दू में पहली ऑटोबायोग्राफी।
इमारत, स्मारक बनवाने के अलावा उन्हें लिखने और पढ़ने का भी बहुत शौक था। खासकर वह उर्दू भाषा की अच्छी जानकर थीं। इसलिए उन्होंने अपने शासनकाल के दौरान उर्दू भाषा में पहली ऑटोबायोग्राफी लिखी थी। शाहजहां ने महिलाओं के लिए सुधारवादी मैनुअल लिखा और वह लिखने वाली भारत में पहली महिला बन गई।

शुरू की डाक व्यवस्था
उन्होंने अपने शासनकाल के दौरान भोपाल राज्य के पहले डाक टिकट जारी किए गए थे। साथ ही, लगभग 1882 ई. में भोपाल में डाक व्यवस्था भी शुरू की, जो आज तक वहां लागू है। हालांकि, आज डाक व्यवस्था में कई तरह के बदलाव किए जा चुके हैं। लेकिन इस व्यवस्था का श्रेय शाहजहां बेगम को ही जाता है। इसके अलावा, उन्होंने भोपाल के उज्जैन 1896 ई में रेलवे लाइन भी शुरू की। इसके अलावा उन्होंने अपने शासन काल में मदरसा ड्यूक आफ एडिनबरा तथा प्रिंस आफ वेल्स अस्पताल भी बनवाए।

हमें मुगल बादशाह शाहजहां तो याद हैं मगर अफसोस हम भोपाल की बेगम शाहजहां को भूल गए

आओ झुक कर सलाम करें उनको, जिनके हिस्से मे ये मुकाम आता है,

खुसनसीब है वो खून जो देश के काम आता है।

अलतमश रज़ा खान
यूपी , शहर बरेली मोहल्ला शाहबाद
फ़ोन : 6397 753 785

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