रायपुर। अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद उपजे हालात को दुनिया के सबसे ख़राब मानवीय संकट में गिना जा रहा है.
दशक के सबसे बुरे सूखे के कारण यहां गेहूँ की एक चौथाई फसल बर्बाद हो गई है और कड़कड़ाती सर्दियों में यहां के 2 करोड़ 30 लाख लोगों के सिर पर भुखमरी का ख़तरा मंडरा रहा है.
दूसरी तरफ यहां सत्ता परिवर्तन के बाद देश को पश्चिमी देशों और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से मिलने वाली आर्थिक मदद बंद हो गई है, अर्थव्यवस्था संकट में घिर चुकी है और सरकारी मुलाज़िमों की तनख़्वाह रुक गई है. लोगों को ये भी नहीं पता कि हालात सामान्य होंगे या नहीं, और अगर हुए, तो कब तक.
तो भुखमरी के ख़तरे का सामना कर रहे अफ़गानिस्तान के लोग कड़कड़ाती ठंड कैसे गुज़ार पाएंगे?