New India News
नवा छत्तीसगढ़राजनीतिसमाज-संस्कृति

आदिवासी अपने अधिकारों के लिए जागरूक और संगठित हों : सुश्री उइके

Newindianews/Raipur राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके उरांव आदिवासी समाज छत्तीसगढ़ रायपुर द्वारा पुरखौती मुक्तांगन में आयोजित राज्य स्तरीय करम नृत्य प्रतियोगिता के कार्यक्रम एवं सम्मान समारोह में शामिल हुई। इस अवसर पर संस्कृति मंत्री श्री अमरजीत भगत, विधायक डॉ. प्रीतम राम, विधायक श्री मोहित केरकेट्टा, राज्यपाल के सचिव श्री अमृत खलखो सहित बड़ी संख्या में उरांव आदिवासी समाज के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
राज्यपाल ने करम नृत्य आयोजन की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से सामाजिक मेल-जोल और सद्भाव और बढ़ता है। उन्होंने 28 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक हुए राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के सफल आयोजन के लिए मुख्यमंत्री एवं संस्कृति मंत्री एव ंउनकी पूरी टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि नृत्य-संगीत, आदिवासियों के जीवन का अभिन्न अंग है। इसके जरिए ना केवल उनका मनोरंजन होता है बल्कि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में कला, संस्कृति भी हस्तांतरित की जाती है। जिस तरह नृत्य में लय और अनुशासन जरूरी रहता है उसी प्रकार जीवन में भी इसका महत्व है। आज के आपा धापी के इस युग में अपने आप को मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए नृत्य और संगीत बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि आदिवासी सरल स्वभाव के होने के साथ ही स्वाभिमानी भी होते हैं। उन्होंने समाज के लोगों को अपने अधिकारों के लिए जागरूक होने और संगठित होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि वे अपनी आजीविका के लिए जल, जंगल और जमीन पर निर्भर रहते हैं, जो कि उनका स्वाभाविक अधिकार है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के अनुसूचित क्षेत्रों में पेसा कानून का क्रियान्वयन शीघ्र ही होगा, इसके लिए वे लगातार प्रयास कर रहे हैं। आदिवासी कल्याण के लिए राज्य शासन की सोच भी सकारात्मक है। शासन द्वारा उनके कल्याण के लिए अनेक योजनाएं संचालित की जा रही है।
उन्होंने कहा कि यह छत्तीसगढ़ जैसे आदिवासी बाहुल्य राज्य के लिए गौरव की बात है कि केन्द्र शासन द्वारा आदिवासी समुदाय के ही व्यक्ति को संवैधानिक मुखिया बनाकर भेजा गया है और मेरे लिए भी यह गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि युवाओं को अपनी संस्कृति पर गर्व करना चाहिए और अपनी बोली, भाषा, लोक कला को जीवित रखने के लिए प्रचार के आधुनिक माध्यमों का भी उपयोग करना चाहिए। समाज को शिक्षा विशेषकर बालिकाओं की शिक्षा, अपने आसपास के वातावरण की साफ-सफाई पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि कोरोना महामारी से हमने बहुत कुछ सीखा है। आदिवासी समुदाय को खेती-किसानी के अलावा युवाओं के कौशल बढ़ाने पर भी विचार करना चाहिए, जिससे उन्हें अन्य क्षेत्रों में भी रोजगार मिल सके।
संस्कृति मंत्री श्री अमरजीत भगत ने इस अवसर पर कहा कि कल समाप्त हुए राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में देश-विदेश से कलाकार आए थे। सभी आदिवासी समुदायों से मिलने का और उनकी संस्कृति को जानने का अवसर मिला और यह बात सामने आई कि सभी आदिवासियों में काफी समानता होती है। आदिवासी दिल से काम करते हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासियों को अपनी भाषा और संस्कृति के संरक्षण पर भी ध्यान देना होगा और शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए भी उपाय करने होंगे। उन्होंने लोकगीत की कुछ पंक्तियों का भी सुमधुर गायन किया।
राज्यपाल ने इस अवसर पर करमा नृत्य प्रतियोगिता के विजेता दलों को पुरस्कृत किया। राज्यपाल ने आयोजन समिति को स्वेच्छा अनुदान से प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की। समारोह स्थल पर पहुंचने पर राज्यपाल एवं अतिथियों का करम नृत्य से स्वागत किया गया। समारोह का शुभारंभ आदिवासियों के जननायक बिरसा मुण्डा एवं डॉ. भीमराव अंबेडकर के चित्र पर माल्यार्पण से किया गया। कार्यक्रम में श्री डी. आर. भगत, श्री आनंद टोप्पो, श्री यू.के. कच्छप, श्री डी.डी. तिग्गा भी उपस्थित थे।

Related posts

कलेक्टर कुंदन कुमार का अम्बिकापुर शहर की सड़कों का किया निरीक्षण

newindianews

रमन सिंह के बयान से स्पष्ट ईडी की कार्यवाही भाजपा की साजिश -कांग्रेस

newindianews

एकलव्य आवासीय स्कूल से 630 अतिथि शिक्षक को हटाकर दूसरे प्रदेश से भर्ती करना दुर्भाग्यजनक

newindianews

Leave a Comment