New India News/Raipur छत्तीसगढ़ में मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। राजधानी रायपुर स्थित श्री बालाजी मेडिकल कॉलेज को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) से अतिरिक्त सीटों की स्वीकृति मिलने के बाद अब यह प्रदेश का सबसे बड़ा मेडिकल कॉलेज बन गया है। एनएमसी ने हाल ही में 100 अतिरिक्त सीटों की अनुमति दी है, जिसके बाद यहां कुल सीटों की संख्या 250 तक पहुंच गई है। सीटों के लिहाज से बालाजी मेडिकल कॉलेज ने पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज को पीछे छोड़ दिया है, जहां फिलहाल 230 सीटें हैं।
प्रदेश में अब कुल 2,130 एमबीबीएस सीटें उपलब्ध हो गई हैं। यह संख्या पिछले साल की तुलना में 150 सीटें अधिक है। वर्ष 2024 में रावतपुरा मेडिकल कॉलेज में जीरो ईयर लागू हो गया था, जिसके चलते सीटों की संख्या घटकर 1,980 रह गई थी। इस बार परिस्थितियां बदली हैं और छात्रों को ज्यादा अवसर मिलने वाले हैं।
एनएमसी की स्वीकृति से भिलाई स्थित शंकराचार्य मेडिकल कॉलेज को भी बड़ा फायदा हुआ है। यहां 50 अतिरिक्त सीटें दी गई हैं, जिससे कॉलेज की कुल क्षमता 200 हो गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि सीटें बढ़ने से प्रदेश के छात्रों को खासतौर पर राहत मिलेगी। अधिक सीटों की उपलब्धता के कारण कटऑफ कम होगा और स्थानीय छात्रों को मेडिकल शिक्षा का अवसर आसानी से मिल सकेगा।
छात्रों और अभिभावकों का मानना है कि यह फैसला ग्रामीण और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। पहले अधिकतर छात्रों को प्रदेश से बाहर अन्य राज्यों के मेडिकल कॉलेजों का रुख करना पड़ता था। अब सीटें बढ़ने से न केवल प्रवेश की संभावना बढ़ेगी बल्कि आर्थिक बोझ भी कम होगा।
62 साल पुराने पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अब तक सबसे बड़ा कॉलेज माना जाता था। लेकिन बालाजी मेडिकल कॉलेज को मिली नई मान्यता के साथ यह स्थान अब बदल गया है। इससे न सिर्फ रायपुर बल्कि पूरे प्रदेश में मेडिकल शिक्षा का स्तर और विस्तार बढ़ेगा।
हालांकि, सीटें बढ़ाने की प्रक्रिया विवादों से अछूती नहीं रही है। जून माह में एनएमसी की टीम ने रावतपुरा मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण किया था। इसी दौरान रिश्वतखोरी का बड़ा मामला सामने आया। कॉलेज को मान्यता दिलाने के लिए रिश्वत लेने और देने के आरोप में सीबीआई ने एनएमसी के तीन एसेसर समेत कॉलेज प्रबंधन के छह लोगों को गिरफ्तार किया था। यह मामला फिलहाल जांच के अधीन है और कई लोगों पर गिरफ्तारी की तलवार अभी भी लटक रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में सीटें बढ़ने से प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को भी मजबूती मिलेगी। डॉक्टरों की संख्या में बढ़ोतरी से अस्पतालों में चिकित्सकीय सुविधाएं बेहतर होंगी और दूर-दराज के क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना आसान हो सकेगा।
सरकार और प्रशासन इसे एक बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं। यह कदम छत्तीसगढ़ के युवाओं के लिए चिकित्सा शिक्षा के नए द्वार खोलेगा और भविष्य में प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को नई दिशा देगा।