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पत्रकारिता को किया कलंकित : मिर्ज़ा शौकत बैग पर गंभीर आरोप, विधवा बहन को किया अपमानित, डिप्रेशन में गई महिला

Newindinews/Bilaspur  छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर में पत्रकारिता के नाम पर काम कर रहे मिर्ज़ा शौकत बैग इन दिनों विवादों में घिर गए हैं। ‘लालदाड़ी’ के नाम से मशहूर मिर्ज़ा शौकत बैग पर अपनी सगी विधवा बहन के अपमान और मानवता की सीमाएं लांघने का आरोप लगा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आर्थिक तंगी से जूझ रही उनकी बहन ने जब अपने हक की रकम और अधिकार की बात की, तो उसे न सिर्फ अपमानित किया गया, बल्कि पारिवारिक सदस्यों के सामने मानसिक रूप से प्रताड़ित भी किया गया।

पीड़िता की हालत इतनी बिगड़ गई है कि वह अब गहरे डिप्रेशन में चली गई है। वर्षों से लंबित आर्थिक सहायता के लिए भाई से गुहार लगाती रही, लेकिन उसे बार-बार नजरअंदाज किया गया। परिजनों की मौजूदगी में जब उसने अपने हक की बात दोहराई, तो उसे अपशब्द कहे गए और उसका मनोबल तोड़ने की भरपूर कोशिश की गई।

आत्मसम्मान को रौंदा गया, परिवार ने भी दिया साथ छोड़
यह घटना सिर्फ भाई-बहन के बीच का पारिवारिक विवाद नहीं है, बल्कि इसमें सामाजिक मर्यादा, नारी सम्मान, और पारिवारिक मूल्यों की गहरी अनदेखी दिखाई देती है। पीड़िता ने जब अपने बच्चों की मौजूदगी में आर्थिक परेशानी का जिक्र किया, तो मिर्ज़ा शौकत बैग ने उल्टे उसी को कटघरे में खड़ा कर दिया। यह भी बताया जा रहा है कि पीड़िता के एक इकलौते पुत्र को भी बार-बार धमकाया गया कि वे अपनी माँ के समर्थन में न खड़े हों, वरना उन्हें जान से मार दिया जाएगा।

पीड़िता ने कई बार समझौते का प्रयास किया, लेकिन शौकत बैग की कथित हठधर्मिता के आगे वह बेबस नजर आई। पारिवारिक सूत्रों का कहना है कि मिर्ज़ा शौकत बैग अपने प्रभाव और पत्रकारिता की पहुंच का दुरुपयोग कर, लोगों को डराने और धमकाने में पीछे नहीं रहते।

“कोर्ट और प्रशासन को पैरों की धूल समझता है” – गंभीर आरोप
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि मिर्ज़ा शौकत बैग ने कथित रूप से यह कहा कि “कोर्ट और प्रशासन मेरे पैरों की नोक पर है।” यदि यह कथन सत्य है, तो यह लोकतंत्र की मूल भावना के लिए गंभीर खतरा है। किसी भी नागरिक को न्यायपालिका और प्रशासन की अवमानना करने का अधिकार नहीं है, और यदि यह कथन एक पत्रकार की तरफ से आया है, तो यह पूरे मीडिया समुदाय के लिए शर्मनाक बात है।

सूत्र बताते हैं कि यह पहली बार नहीं है जब मिर्ज़ा शौकत बैग पर आरोप लगे हैं। पूर्व में भी उनके परिवार के सदस्यों द्वारा कई आरोप लगाए जा चुके हैं। लेकिन उनका प्रभाव और बाहरी छवि ऐसी गढ़ी गई है कि अब तक उन्हें कोई ठोस कार्रवाई का सामना नहीं करना पड़ा।

पत्रकारिता की मर्यादा पर लगा दाग
मिर्ज़ा शौकत बैग द्वारा की गई कथित हरकतों ने पत्रकारिता की साख पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। पत्रकारिता को समाज का चौथा स्तंभ माना जाता है, जिसका काम है पीड़ित की आवाज़ बनना, न कि अपने ही घर की महिला को अपमानित कर उसका मनोबल तोड़ना।

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