( 1 रुपया ( ₹ ) और शेर शाह सूरी )
शासना वधि : 1540–1545
राज्याभिषेक : 1540 पूर्ववर्तीहुमायूँ उत्तरवर्तीइस्लाम शाह सूरी
जन्म : 1486 बजवाड़ा, होशियारपुर ज़िला, भारत
निधन : २२ मई, १५४५ कलिंजर, बुन्देलखण्ड
समाधि : शेर शाह का मक़बरा, सासाराम
संतान : इस्लाम शाह सूरी
घराना : सूरी वंश
पिता : मियन हसन खान सूर
धर्म : इस्लाम
Newindiaenws/Altamash Raza आज हम आप को बताने जा रहे हैं हिंदोस्तान की तारीख का एक ऐसा नाम जिसके दिए गए नामो को तो हम आज भी हम और आप अपनी ज़ुबान से बोलते हैं लेकिन शायद जिसने वो नाम दिया उसको भूल गए।
जी हां हम सूरी वंश के गुमनाम नाम ( शेर शाह सूरी ) की बात कर रहे हैं वही शेर शाह सूरी जिसने सबसे पहले मुद्रा को ( रूपये ) का ना दिया और आज वो रुपया हम भारतीयों की ज़ुबानी बन गया।
तो आइए जानते हैं भारत में रूपये की शुरुवात कब से हुई।
रुपया शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम शेरशाह सूरी ने भारत में अपने शासनकाल 1540० से 1545 के दौरान किया था।
माना जाता है कि शेरशाह सूरी ने अपने शासनकाल में जो रुपया चलाया था, वह एक चांदी का सिक्का था। इस सिक्के का वज़न 178 ग्रेन (करीबन 11.534 ग्राम) था।
शेरशाह सूरी ने तांबे और सोने का सिक्का भी चलाया था । तांबे के सिक्के को उस समय दाम और सोने के सिक्के को मोहर कहा जाता था।
शेरशाह सूरी के शासनकाल में चलाया गया रुपया आज तक प्रचलन में है, भारत में ब्रिटिश राज के दौरान भी यह प्रचलन में रहा।
ब्रिटिश राज में इसका वजन 11.66 ग्राम था, और इसमें 91.7 प्रतिशत तक शुद्ध चांदी थी।
एक तोला (10 ग्राम) चांदी से बना सिक्का एक रुपया कहलाता था।
एक तोला सोना से बना सिक्का एक मोहर कहलाता था।
सोने की एक मोहर का मूल्य 16 रुपये था, मतलब सोने के एक सिक्के (मोहर) के बदले चांदी के सोलह सिक्कों (रुपयों) का लेन-देन होता था।
और भारत में आज भी भारतीय मुद्रा का प्रयोग रुपया नाम से होता है जैसे — ( 1 ₹ ) ( 2 ₹ ) ( 5 ₹ ) ( 10 ₹ ) ( 20 ₹ ) ( 50 ₹ ) ( 100 ₹ ) ( 200 ₹ )( 500 ₹ ) ( 2000 ₹ )
1- बीसवीं सदी के शुरुआती सालों में हमारा रुपया- अदन, कतर, युगांडा, ओमान, कुवैत, बहरीन, केन्या, मॉरीशस जैसे देशों की मुद्रा हुआ करता था।
2- हिन्दी और अंग्रेजी के अलावा नोट पर अन्य 15 भाषाओं में भी रुपया लिखा होता है जो नोट की पिछली तरफ होता है।
3- अगर आपको यह जानना है कि काई सिक्का देश में कहां ढाला गया है, तो इसके लिए आपको उस पर छपे हुए वर्ष के नीचे खास निशान देखने की ज़रूरत है।
4अगर डॉट है तो दिल्ली, डायमंड निशान है तो मुंबई, स्टार बना है तो हैदराबाद और अगर कोई निशान नहीं है तो सिक्का कोलकाता में ढाला गया है।
आजादी के बाद रुपये की लगातार गिरी कीमत।
1_ आजादी के समय भारतीय रुपया ब्रिटिश पाउंड से संबद्ध था और यह अमेरिकी डॉलर के मूल्य के बराबर था।
2_ भारत की बैलेंस शीट में कोई भी विदेशी कर्ज नहीं था।
3_ विकास और कल्याण की योजनाओं को धन मुहैया कराने के लिए, खास कर 1951 से पंचवर्षीय योजनाओं को लागू करने के लिए, सरकार को विदेशों से कर्ज लेना पड़ा, यहीं से रुपये का गिरना अवमूल्यन शुरू हो गया।
4_ आजादी के बाद भारत ने फिक्स्ड रेट करेंसी सिस्टम को अपनाया 1948 से 1966 तक 1 डॉलर 5 रुपये के आसपास था।
5_ अगर हम आज के समय की बात करें तो आज अमेरिकी 1 डॉलर भारत के लगभग 82 ₹ का है।
तो ये थी रुपया की कहानी जैसे के आप ने पड़ी।
चीन-ओ-अरब हमारा हिन्दोस्ताँ हमारा
मुस्लिम हैं हम वतन है सारा जहाँ हमारा
तौहीद की अमानत सीनों में है हमारे
आसाँ नहीं मिटाना नाम-ओ-निशाँ हमारा
अलतमश रज़ा खान
यूपी , शहर बरेली मोहल्ला शाहबाद
फ़ोन : 6397 753 785