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श्री बालाजी हॉस्पिटल में आयुष्मान कार्ड से हो रही रेटिना की सर्जरी

Newindianews/Raipur आंखों से सम्बंधित गंभीर समस्याओ का इलाज और रेटिना की सर्जरी के लिए अब आपको कही और जाने की जरूरत नहीं है. क्योंकि राजधानी रायपुर के मोवा स्थित श्री बालाजी हॉस्पिटल में रेटिना सर्जरी एडवांस मशीनो से अब आयुष्मान कार्ड से संभव है.
यहां नेत्र रोग विशेषज्ञों की एक बड़ी टीम मौजूद है. अस्पताल में पिछले दिनों पांडातराई की निवासी महिला मरीज चमेली बाई सोनी के रेटिना की सफल सर्जरी की गई. असिस्टेंट प्रोफेसर और विट्रो-रेटिना कंसल्टेंट डॉ नेहा बीएस पांडे ने बताया कि मरीज के आंखों का रेटिना खिसक गया था. लेकिन मरीज को 2 महीने तक इसकी जानकारी ही नहीं मिली कि उसकी एक आंखों का पर्दा फट गया है, क्योंकि उनकी दूसरी आंखों से सबकुछ ठीक दिखाई दे रहा था.
लेकिन जब उन्हें ये पता चला और वे अस्पताल पहुंची चेकअप के लिए तो उन्हें सर्जरी की सलाह दी गई. अब चमेली बाई सोनी पूरी तरह स्वस्थ महसूस कर रही हैं और इलाज से पूरी तरह संतुष्ट हैं.
मरीज मोतियाबिंद और रेटिना में अक्सर कंफ्यूज होते है ! मोतियाबिंद बढ़ती उम्र के कारण होता है और आंखों का सामने का हिस्सा है, लेकिन रेटिना आंखों की नस है , जो रक्तसंचालन से भरी हुई रहती है । हम सभी की पुतली ( जो आंखों का छोटा छेद होता है ) वहाँ से लाइट जाती है , रेटिना में सिग्नल देती है , तभी इमेज फॉर्म होती है और वो इमेज ऑप्टिक नर्व (जो रेटिना से जुड़ा होता है) उसकी सहायता से ब्रेन तक सिग्नल लेके जाती है । इसी तरह से ही हम सब इस सृष्टि को देख पाते है!

रेटिना रोग के कितने प्रकार है?
रेटिना में कई प्रकार की बीमारियाँ हो सकती हैं जो आँख को प्रभावित कर सकती हैं. कुछ सामान्य प्रकारों में निम्नलिखित शामिल हैं:
डायबिटिक रेटिनोपैथी: यह उन लोगों में होती है जिनको डायबिटीज है, जब उनकी रेटिना की रक्तसंचारित नसें डैमेज हो जाती हैं.
मैकुलर डीजनरेशन: यह बीमारी आंख के मैक्युला को प्रभावित करती है, जो दृष्टि के केंद्रीय हिस्से (central vision) को प्रभावित करता है.
रेटिनल डिटेचमेंट: यह रेटिना को उसकी सामान्य स्थिति से अलग करने के समय होता है, जिससे दृष्टि का नुकसान हो सकता है.
रेटिनिटिस पिग्मेंटोसा: यह एक आंख का जेनेटिक विकार है जो रेटिना के कोशिकाओं के क्षय से होती है. इसमें मरीजों को रात मे देखने मे तकलीफ होती है जिसे नाईट ब्लाइंडनेस भी बोलते है।
रेटिनल वास्कुलर ऑक्लूशन: यह होता है जब रेटिना की रक्तसंचारित नसों में बंदिशा हो जाती है, जिससे दृष्टि का नुकसान हो सकता है. ये उनको होता जिन्हे ब्लड प्रेशर की समस्या है , ब्लड प्रेशर कंट्रोल में नहीं रहता है और कोलेस्ट्रॉल बॉडी में ज्यादा है ।
हाई पॉवर ( यानी चस्में का नंबर -३ या -५ डायॉप्टर )से ज्यादा है तो रेटिना कमजोर हो सकता है , रेटिना में पतलापन पाया जा सकता है इसलिए हर ६ महीने से एक साल मे नयमित रेटिना चेकउप कराना जरुरी है ।

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