सरकार के मुखिया इसे बता रहे सुशासन तिहार का “रिपोर्ट कार्ड”
बिना अवकाश के लापता आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पर संचालक ने खानापूर्ति के लिए दी कार्यवाही की चेतावनी…
Newindianews/CG मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय जहां राज्य भर में ‘सुशासन तिहार’ मना रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री के क्षेत्र के एक हिस्से रायपुर के श्याम नगर परिक्षेत्र में चार आंगनबाड़ी केंद्र स्थित हैं। इन केंद्रों में कार्यरत कार्यकर्ता बिना किसी विभागीय स्वीकृति के लापता हैं और इस कारण बच्चों को पोषण आहार और देखरेख की सुविधा नहीं मिल पा रही है।
ग्रामीणों के अनुसार, इन आंगनबाड़ी केंद्रों में ना तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पहुंच रही हैं और ना ही सहायिका। नन्हे बच्चों के लिए निर्धारित भोजन, टीकाकरण और पूर्वप्राथमिक शिक्षा जैसे कार्य भी पूरी तरह से बाधित हैं।
मुख्यमंत्री का “रिपोर्ट कार्ड”, लेकिन ज़मीनी हकीकत अलग…
हाल ही में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के ग्राम कनकबीरा में चौपाल लगाकर कहा था कि “सुशासन तिहार राज्य सरकार का रिपोर्ट कार्ड है।”
लेकिन यह हालात सरकार के दावों की सच्चाई पर सवाल खड़ा करते हैं।
विभागीय कार्रवाई की तैयारी केवल खानापूर्ति..?
जब इस मामले की जानकारी महिला एवं बाल विकास विभाग के संचालक एस.पी. एल्मा को दी गई, तो उन्होंने कहा कि बिना विभागीय अवकाश प्राप्त किए यदि कोई भी कर्मचारी अपने कार्य से नदारद रहते हैं तो उसपर कार्यवाही होगी। अभी डीपीओ को कार्यवाही के लिए निर्देश जारी करता हूं।
किंतु संचालक द्वारा शायद यह बात केवल मीडिया को तस्सली देने के लिए कही गई होगी तभी तो अब तक कोई भी विभागीय कार्रवाई नहीं देखी गई है। क्यूंकि यही है सुशासन तिहार।
20 दिन की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
स्थानीय प्रशासन, जनप्रतिनिधि और महिला एवं बाल विकास विभाग की 20 दिन की चुप्पी और लापरवाही पर भी सवाल उठ रहे हैं। यदि पूरे राज्य में सुशासन तिहार के तहत योजनाओं की समीक्षा की जा रही है, तो यह लापरवाही कैसे अनदेखी रह गई है ?
मुख्य तथ्य:
श्याम नगर परिक्षेत्र की 4 आंगनबाड़ी केंद्र 20 दिन से बंद
कार्यकर्ता बिना स्वीकृति अवकाश के अनुपस्थित…
बच्चे पोषण आहार, टीकाकरण और शिक्षा से वंचित।
स्थानीय प्रशासन अब तक निष्क्रिय, संचालक ने खानापूर्ति के लिए दी है बर्खास्तगी की चेतावनी। यही है सुशासन तिहार का “रिपोर्ट कार्ड”।
यह खबर सुशासन तिहार के दावों और धरातलीय वास्तविकता के बीच की खाई को उजागर करती है। सरकार यदि वाकई में इसे “रिपोर्ट कार्ड” मानती है, तो उसे इसमें दर्ज इस विफलता को भी गंभीरता से दर्ज करना चाहिए।