Newindinews/CG आम जनता को और राज्य शासन व केंद्र शासन से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी प्राप्त करने के लिए वर्ष 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम लागू किया गया जिसके तहत प्रत्येक नागरिक सरकार से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी प्राप्त कर सकता है जिसके लिए 30 दिवस का समय निर्धारित किया गया है किंतु जन सूचना अधिकारी निर्धारित समय 30 दिनों के भीतर जानकारी नहीं देते हैं ऐसे में आवेदक को प्रथम अपील करनी पड़ती है जिसका निराकरण 30 से 45 दिनों में होता है प्रथम अपील अधिकारी विभागीय अधिकारी होने से वह कहीं ना कहीं जन सूचना अधिकारी का ही सहयोग करता है और आवेदक को सूचना नहीं मिल पाती है या जानकारी नहीं मिल पाती है अथवा समय पर नहीं मिल पाती है ऐसी स्थिति में आवेदक द्वितीय अपील या शिकायत राज्य सूचना आयोग को करता है राज्य सूचना आयोग में अपील अथवा शिकायत हो जाने के बाद राज्य सूचना आयोग में 6 महीने से लेकर 1 साल व 2 साल की लंबी-लंबी तिथि दी जाती है जिससे अभी तक को जानकारी प्राप्त करने में 2 साल से 5 साल अथवा अधिक समय भी लग जाता है ऐसे में चाहे कहीं जानकारी का महत्व समाप्त हो जाता है क्योंकि छह ही गई जानकारी यदि समय पर ना मिले तो उसे जानकारी का कोई औचित्य नहीं होता है.
उक्त्त आशय को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के अधिवक्ता लवकुमार रामटेके ने छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग को सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगा की किसी भी अपील एवं शिकायत का पंजीयन एवं उसे पर सुनवाई कितने समय के भीतर किए जाने का अधिनियम में प्रावधान है.
राज्य सूचना आयोग की ओर से जन सूचना अधिकारी एवं लेखा अधिकारी ने जानकारी देते हुए 10 दिसंबर 2024 को बताया कि आवेदन की पंजीयन एवं सुनवाई में लगने वाला समय कोई भी निश्चित नहीं है.
श्री रामटेके उक्त बातों से व्यथित होकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर करते हुए एक प्रकरण में मांग की कि यदि राज्य सूचना आयोग से अपील एवं शिकायत का निराकरण निर्धारित समय में नहीं हो पा रहा है तो सूचना के अधिकार अधिनियम के निराकरण का अधिकार सिविल कोर्ट को दे दिया जाए.